सनाढ्य का शाब्दिक अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है,सन्+आढय जिसका अर्थ सन् अर्थात तप और आढ्य अर्थात ब्रम्हा। ब्रम्हा के तप से उत्पन्न ब्राम्हण और तपस्या में रत रहने बाले अर्थात तपस्वी।
सनाढ्य’ में ‘सन्’ तप वाचक है। अर्थात तप द्वारा जिनका पाप दूर हो गया है वे सनाढ्य ब्राह्मण कहे जाते हैं। इनका उद्भव आदिगौड़ ब्राह्मणों से ही हुआ है। सनाढ्य ब्राह्मण कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की चौथी शाखा है। अतः इनका वर्णन भी पंचगौड़ ब्राह्मणों के अंतर्गत किया जाता है।
त्रेता युग में श्री राम ने अपने पिता के वचन की पालना हेतु 14 वर्षों के लिए वनवास किया। इसके पश्चात् संग्राम में रावण का वध कर सीता और लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे। राज्याभिषेक के बाद ब्रह्महत्या के दोष के निवारण के लिए यज्ञ का आयोजन किया। उस यज्ञ में आदि गौड़ ब्राह्मणों को निमंत्रित किया गया। आदि गौड़ ब्राह्मणों ने विधिविधानपूर्वक यज्ञ करवाया। यज्ञ की समाप्ति पर अवभृथ स्नान करके प्रथम वरण किए हुए आदि गौड़ ब्राह्मणों को दान देने को तत्पर हुए। किंतु ब्रह्महत्या के दोषी राजा रामचंद्र से उन्होंने दक्षिणा नहीं ली और वे चले गए। बचे हुए 750 कान्यकुब्ज आदि ब्राह्मणों ने दक्षिणा स्वरूप राम द्वारा प्रदत्त 750 ग्राम आदि दान सहर्ष स्वीकार कर लिए। उन ग्रामों के नाम से आज भी अवंटक (शासन) या कुरीगांव प्रख्यात हैं।
भगवान राम द्वारा किए गए इस यज्ञ में 1001 ब्राह्मण याज्ञिक थे जिन्होंने यज्ञ में दान स्वीकार किया। इनमें 251 कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे जिन्होंने गाय और साढ़े दस गांव दान में प्राप्त किए। 750 ग्राम अन्य विद्वान ब्राह्मणों को दान स्वरूप दिए गए जो सभी प्रकार के मिले-जुले ब्राह्मण थे। इस प्रकार का दान देकर भगवान राम ने उन 750 ब्राह्मणों को सनाढ्य ब्राह्मण नाम की संज्ञा से अलंकृत किया। यह 750 ग्राम गंगा-यमुना के विस्तार क्षेत्र में है। साढ़े दस गाँव 251 कान्यकुब्ज ब्राह्मणों को दिये जो अयोध्या के दक्षिण भाग में है और उन्हें कान्यकुब्ज संज्ञा से अभिनीत किया। इस प्रकार सनाढ्य ब्राह्मण वंश का कान्यकुब्ज ब्राह्मणों से ही संबंध है।
सनाढ्य ब्राह्मणों का क्षेत्र –
सनाढ्य ब्राह्मणों का क्षेत्र गंगा यमुना के मध्य क्षेत्र के 8 जिलों –
- मथुरा
- एटा
- अलीगढ़
- बुलंदशहर
- मेरठ
- बदायूं
- मैनपुरी
- आगरा
आदि में फैला हुआ है।
सनाढ्य ब्राह्मणों के गोत्र –
सनाढ्यों 10 ऋषि गोत्र तथा 7 शाखाएं हैं।
- वशिष्ठ
- पाराशर
- अगस्त्य
- वत्स
- शांडिल्य
- भारद्वाज
- कृष्णात्रेय
- च्यवन
- कश्यप
- उपमन्यु
साथ ही 7 शाखा भेद है इस प्रकार गोत्र संख्या 17 है।
सनाढ्य ब्राह्मणों की उपाधियां-
- उपाध्याय
- चौबे
- जोशी
- त्रिवेदी
- दीक्षित
- त्रिपाठी
- दूबे
- पचौरी
- पंड्या
- पुरोहित
- मिस्र
- शंखधारा
सनाढ्य ब्राह्मणों के गोत्रादि –
गोत्र | प्रवर | वेद | उपाधि | देव | वंश |
1. वशिष्ठ | 3 | यजुर्वेद | तिवारी | गौरी | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
2. भारद्वाज | 3 | यजुर्वेद | पाठक | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
3. कश्यप | 3 | यजुर्वेद | मिश्र | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
4. कात्यायन | 3 | यजुर्वेद | दीक्षित | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
5. गौतम | 5 | सामवेद | रावत | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
6. गार्ग्य | 5 | सामवेद | शर्मा | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
7. कौशिक | 5 | सामवेद | शर्मा | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
8. पाराशर | 3 | यजुर्वेद | उपाध्याय | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
9. विष्णुवृद्धि | 3 | यजुर्वेद | उपाध्याय | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
10. कौडिन्य | 3 | यजुर्वेद | तिवारी | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
11. कृष्णात्रेय | 3 | यजुर्वेद | मिश्र | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
12. सांकृत | 3 | यजुर्वेद | दीक्षित | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
13. उपमन्यु | 3 | यजुर्वेद | मिश्र | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
14. धनंजय | 3 | यजुर्वेद | उपाध्याय | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
15. कुशिक | 3 | यजुर्वेद | उपाध्याय | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
16. वत्स | 5 | सामवेद | पाठक | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
17. ब्रह्म | 3 | शुक्लयजुर्वेद | उपाध्याय | शिव | चन्द्र, सूर्य, मिश्रित |
सनाढ्य ब्राह्मणों के मूल ग्राम –
1. | थापाकिया | 2. | लेगो | 3. | हथनीया |
4. | कवैया | 5. | वरोरिया | 6. | तैहेलना |
7. | गठवारा | 8 | वाम्वरीया | 9. | चादोरिया |
10. | पपरोलिया | 11. | पुरहरिय | 12. | डडोचिया |
13. | गोहले | 14. | परवारिया | 15. | वछगैजा |
16. | मुचोतिया | 17. | भुसोरिया | 18. | नरोलिया |
19. | कांकरोलिया | 20. | दुगरोलिया | 21. | दुगोलिया |
22. | गांगरोलिया | 23. | बुधेलिया | 24. | सरहेया |
25. | जनू | 26. | रेहरिया | 27. | आस्ठेलिया |
28. | जरोलिया | 29. | उदेलिया | 30. | मेरहा |
31. | अंडोलिया | 32. | टेहगारिया | 33. | समरिया |
34. | करैया | 35. | कर्तिया | 36. | लहरिया |
37. | अक्खे | 38. | सावर्ण | 40. | रावत |
41. | भत्सना | 42. | ठमेले | 43. | गुवरेले |
44. | मिश्र | 45. | पायक | 46. | कोतवाल |
47. | वरुण | 48. | त्रिपाठी | 49. | विनतेरे |
50. | पुरोहित | 51. | वालकीव्यास | 52. | औरईया |
53. | करोर | 54. | सेमरिया | 55. | कांकरा |
56. | षटनावलि | 57. | कुलवान | 58. | सोंती |
59. | कुलवानी | 60. | सावर्णिमा | 61. | उटगारिया |
62. | कुम्भवारिया | 63. | उचेनिया | 64. | कांकोलिया |
65. | हुचवारिया | 66. | कामकर्या | 67. | कामरिया |
68. | अरेलिया | 69. | वरवनिया | 70. | नैनेरिया |
71. | चरोलिया | 72. | नोंनहरिया | 73. | चौवे |
74. | विदाहारिया | 75. | चरोरिया | 76. | कोईकेदीक्षित |
77. | चन्द्रोठिया | 78. | कोईकेउधारिया | 79. | चलैया |
80. | घेरिया | 81. | चांदसोरिया | 82. | जमौलिया |
83. | स्यारहिया | 84. | तुटोतिया | 85. | विवनगा |
86. | मुखरैया | 87. | चुंगला | 88. | महलोनिया |
89. | मरयो | 90. | वेवारबाल | 91. | अवरैया |
92. | निर्खिया | 93. | कोईकेमुद्गल | 94. | इन्द्रा |
95. | कोईकेमुड़ेनिये | 96. | झासेनिया | 97. | मुखैया |
98. | धारिया | 99. | मुदरैया | 100. | रावत |
101. | सिसेंदिया | 102. | डुगरोलिया | 103. | सिरोतिया |
104. | ठमोले | 105. | वारोलिया | 106. | वरनैया |
107. | वरोलिया | 108. | उड़ोचिया | 109. | भारिया |
110. | तुरोलिया | 111. | ढ़कारिया | 112. | उभैया |
113. | झगरिया | 114. | ठझेलिया | 115. | हेरिया |
116. | चलैया | 117. | चाहिया | 118. | इरवरिया |
119. | पिपरोलिया | 120. | निहारिया | 121. | सवारिया |
122. | सुअसिया | 123. | डीलवारिया | 124. | पंचगैया |
125. | गिरसैया | 126. | वदेनिया | 127. | प्रगासिया |
128. | वसेटिया | 129. | खिड़पासिया | 130. | गिलोडिया |
131. | बुधोलिया | 132. | चनगीया | 133. | दुबे(कृष्णात्रेय) |
134. | ओरगिरिया | 135. | श्रीयाधानिया | 136. | बुधकैया |
137. | गुणोचिया | 138. | अवस्थी | 139. | परवैया |
140. | हाऋषिया | 141. | भामेलिया | 142. | दांता |
143. | भारग्रामिया | 144. | हर्रवैया | 145. | दुसेठिया |
146. | भचोड़िया | 147. | भिरहरिया | 148. | धर्मध्वजिया |
149. | तिरवंतिया | 150. | दुरवारा | 151. | लवानिया |
152. | हरिया | 153. | तलैया | 154. | तिहोनपालिया |
155. | तीखे | 156. | विधिभेदिया | 157. | सुफलफलिया |
158. | रैवरा | 159. | विरहेयिका | 160. | डीलेवारियका |
161. | तैहरिया | 162. | आइया | 163. | त्रिशूलिया |
164. | चौधिया | 165. | रोरिवलिया | 166. | षट्कर्मिया |
167. | झुरठिया | 168. | देखईया | 169. | गारिया |
170. | पीचुनिया | 171. | परसैइया | 172. | वदईया |
173. | विरहरुपिया | 174. | विरहेरिया | 175. | बुटोलिया |
176. | गंगालिया | 177. | सहटामिया | 178. | द्विधागुधनिया |
179. | खोईया | 180. | खेमरिया | 181. | स्वाहरैया |
182. | डालवाडिया | 183. | पेखड़े | 184. | सतरंगिया |
185. | पैरपड़े त्रिवंग | 186. | चिरंजिया | 187. | बुधोलिया |
188. | गुलपारिया | 189. | हरसानिया | 190. | पाथनिया |
191. | वसैया | 192. | भेलेमिनिया | 193. | धनहेरिया |
194. | हृदेनिया | 195. | भटेले | 196. | दुगोलिया |
197. | नदनंगिया | 198. | धामोंटिया | 199. | तिहोनगुरिया |
200. | डचेलिया | 201. | सैनवैया | 202. | तामोलिया |
203. | अतैया | 204. | तैहुरिया | 205. | तिगुनाई |
206. | चटसालिया | 207. | तपरैया | 208. | रौरहिया |
209. | साजोलिया | 210. | ठोठानिया | 211. | तैहरिया |
212. | ढ़ाढू | 213. | डुगवारा | 214. | दीधरा |
215. | साजोलिया | 216. | राजगीया | 217. | डुगवांणा |
218. | ठुठिया | 219. | तोहिया | 220. | दुन्डिया |
221. | डुगवारिया | 222. | अष्टक | 223. | स्नेहिया |
224. | नरहेरिया | 225. | आरोलिया | 226. | मीतरोलया |
227. | भाईभेड़ी | 228. | रक्षपालिया | 229. | थपईया |
230. | आदिया | 231. | सतसैया | 232. | मसेनिया |
233. | हरदोनिया | 234. | वालोठिया | 235. | गुननाथी |
236. | सुजसीथा | 237. | गुड़वीया | 238. | वीरिहेरिया |
239. | गड़ेंविया | 240. | दुर्हारिया | 241. | दौसता |
242. | वसड़ा | 243. | लावार | 244. | खैमईया |
245. | अरगया | 246. | खेईया | 247. | नवनीया |
248. | मांगोलिया | 249. | गौरसैया | 250. | गांगोलिया |
251. | वदैया | 252. | दोषपिया | 253. | सवारिया |
254. | पिपरोलिया | 255. | निखरैया | 256. | ब्रह्मेमैत्रिया |
257. | घुसेठिया | 258. | वहोलपालिया | 259. | विप्रिया |
260. | दारवारिया | 261. | टंकारिया | 262. | दुवारक |
263. | दाछर | 264. | छलीया | 265. | सारवीसीपुरिया |
266. | खरोटिया | 267. | ललीया | 268. | खरेरिया |
269. | हुचुगिरिया | 270. | ठाकोलिया | 271. | भमालिया |
272. | भटवालिया | 273. | सीहरा | 274. | नन्दवैया |
275. | डेहरेवारे | 276. | दुहार | 277. | वाइसा |
278. | वरेखरहरिया | 279. | मधेसिया | 280. | गांठोलिया |
281. | कीटमाया | 282. | द्रारवेनिया | 283. | हुरगरिया |
284. | वरवरोरिया | 285. | धानेरिया | 286. | दुवोल्या |
287. | राठौठिया | 288. | गंगुप्रिय | 289. | तामोठिया |
290. | निहोनगिरिया | 291. | पंचगद्या | 292. | संत्रगिया |
293. | नवेदिया | 294. | रत्तंगिया | 295. | खुजोलिया |
296. | ससष्ठिया | 297. | पूर्वनिया | 298. | गीलोठिया |
299. | सोरैया | 300. | बुधकैया | 301. | विरहेरूवका |
302. | बुठोलिया | 303. | वालोठिया | 304. | दुनेनिया |
305. | त्रादीया | 306. | बुलोठिया | 307. | सीरहठिया |
308. | गुलपारिया | 309. | गिलोठिया | 310. | वाचेडिया |
311. | षंडासिया | 312. | मुधोलिया | 313. | दुरसारिया |
314. | मानिया | 315. | सानसैया | 316. | चिरंजिया |
317. | थूनिया | 318. | असतानिया | 319. | चरनावलिया |
320. | वैसीडिया | 321. | हरसानियका | 322. | मटंले |
323. | दोजेनिया | 324. | मुखरैया | 325. | चांदोलिया |
326. | ठंठोलिया | 327. | चीथे | 328. | ववेसिया |
329. | शांडिया | 330. | भारिया | 331. | गुलपारिया |
332. | अड़वीया | 333. | झासेनिया | 334. | रघुनाथिया |
335. | हरदेनिया | 336. | भमरेले | 337. | गैहनैया |
338. | शांडिल | 339. | पुरहरिया | 340. | पचोरिया |
341. | वैदले | 342. | करसोलिया | 343. | भिरथरे |
344. | कुमार | 345. | गिरदोलिया | 346. | चुरारी |
347. | गोवरेले | 348. | हरेले | 349. | ठमोले |
350. | कंजोलिया | 351. | पटसारिया | 352. | बदोले |
353. | आगरोषा | 354. | कमईया | 355. | काशिप |
356. | शुक्ल | 357. | उच्छित | 358. | गारिया |
359. | हरदोनिया | 360. | तोहिया | 361. | हरगरिया |
सनाढ्य ब्राह्मण, जब परशुराम ने २१ बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर दिया, तो जीते हुयो प्रदेश ब्राह्मणों को दिये तब कान्यकुब्ज प्रदेश को पाने वाले कान्यकुब्ज, गौड़ प्रदेश के स्वामी गौड़ उत्कल प्रदेश के उत्कल कहलाने इसी प्रकार जो जिस प्रदेश कोप्राप्त किया वह वही कहलाये, ,परंतु बाद में वे पुनःराज्य को ,अपने शिष्य छत्रिय पुत्रों को देकर स्वयं तप करने लगे,।सन् का अर्थ है तप आढ्य का अर्थ लगे रहना, परशुराम के राज्य देने के समय भी जो ब्राह्मण अपने आचार्य कार्य और तप में लगे रहे वे सनाढ्य कहलाये उस समय की परम्परा के अनुसार ब्राह्मण नगर के बाहर कुटिया में गुरूकुल चलाते थे और बच्चों को शिक्षित करते थे।
इसमे पूरी जानकारी नही है, सनाढ्य ब्राह्मणों के 750 सरनेम हैं, सभी के अलग अलग ऋषिगोत्र हैं, सभी की अलग अलग कुलदेवी,शिखा,इत्यादि अलग अलग हैं
जवाब देंहटाएंक्या आपके पास इसकी पूरी जानकारी की कोई पुस्तक या ग्रंथ है, कृपया 9918408111 पर संपर्क करें
हटाएंbrahmin gotra nice discription
जवाब देंहटाएंधन्यबाद... आपने ब्राह्मणो के बारे में बहुतअच्छी जानकारी साझा की... ब्राह्मण वंशावली
जवाब देंहटाएंगलत जानकारी है ।
जवाब देंहटाएं'सन' का अर्थ तप है, यह बताया तो जाता है पर इसका प्रामाणिक आधार क्या है ? आज तक किसी
जवाब देंहटाएंभी मान्य कोश में सन् का अर्थ 'तप ' नहीं बताया गया । 'सन ' का अर्थ 'सनात् ' और 'आढ्य ' का अर्थ समृद्ध या भरेपूरे तर्क संगत है, जिसका अर्थ है- सनतन रूप से समृद्ध चाहे तप से समृद्ध हों, चाहे शिक्षा से, चाहे आर्थिक रूप से । यदि 'सन' का अर्थ तप हो तो कोई सज्जन प्रामाणिक शब्दकोशीय आधार बताएँ ।
पलिया सरनेम सनाढ्य ब्राह्मण में कहीं दिखाई नहीं देता।
जवाब देंहटाएं