तुलसी-दल के लिए ध्येय योग्य कुछ बातें - ब्राह्मण - मन्दिर

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तुलसी-दल के लिए ध्येय योग्य कुछ बातें

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  • शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.
  • तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं.
  • तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है. इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है.
  • रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए.

  • जिस पूजा और यज्ञ के प्रसाद में तुलसी-दल नहीं होता है, उस भोग को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं।

  • भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों और स्वरूपों की पूजा में तुलसी का नैवेद्य नहीं होने पर पूजा अधूरी मानी जाती है।

  • यदि फिर भी कि कोई नैवेद्य न हो,या कोई भी विधान न किया गया हो, और केवल तुलसी का एक पत्ता भी अर्पित कर दिया जाए तो पूजा का सम्पूर्ण फल प्राप्त हो जाता है।



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